लेखनी कहानी -09-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 32
वो दोनों काफी गहरायी में जा गिरे थे और अंधेरा हो चुका था जिस वजह से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ़ना मुश्किल ही नही ना मुमकिन सा था।
हे! भगवान ये कहा फस गयी मैं, आखिर मैं यहाँ आयी क्यू अब मैं यहाँ से कैसे बाहर निकलूंगी घर वाले राह देख रहे होंगे मेरी हिमानी ने ज़मीन से उठ कर कहा रोंधी आवाज़ में.
"हिमानी घबराओं नही हम कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेंगे " हंशित ने कहा
"चुप हो जाओ, खामोश रहो एक लफ्ज़ भी मत बोलना तुम्हारी वजह से मैं यहाँ इस खायी में आकर गिरी हूँ नही पता अब रास्ता कैसे मिलेगा और ऊपर से मौसम भी कितना ख़राब हे हे! भगवान हमारी मदद कर कोई तो रास्ता होगा यहाँ से निकलने का " हिमानी ने कहा
"हिमानी हम दोनों मिलकर ढूंढ लेंगे कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिल ही जाएगा, हम यहाँ हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते ऐसे ही थोड़ी देर में गंघोर अंधेरा हो जाएगा अगर रास्ता नही मिला तो कोई सर छिपाने की जगह ही मिल जाएगी " हंशित ने कहा
"मुझे तुम्हारी कोई बात नही सुन्नी, मैं अपने रास्ते जा रही हूँ तुम अपने रास्ते जाओ " हिमानी ने कहा और चलने लगी
हंशित उसके पीछे पीछे चलते हुए बोला " हिमानी मैं जानता हूँ जो कुछ हुआ मेरी वजह से हुआ लेकिन मैं तुम्हे इस जंगल में अकेला रास्ता ढूंढ़ने की इज़ाज़त नही दे सकता , ये जंगल बहुत बड़ा और भयानक हे यहाँ जंगली जानवरों का खतरा भी हो सकता हे तो इसलिए हमें साथ मिलकर रास्ता ढूंढ़ना चाहिए "
हिमानी को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन उसकी बात भी सही थी इसलिए उसने उसे आने दिया लेकिन बहुत देर तक घूमने पर भी कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था अंधेरा बढ़ चुका था आसमान काले बादलों से घिर गया था बस बरसने ही वाला था।
उसके दोस्त भी वहा इंतज़ार करते करते थक गए और बोले हमें रूम पर चलना चाहिए क्या पता वो लोग पहुंच गए हो उनका फ़ोन भी नही लग रहा था शायद टूट गया था गिरने कि वजह से और अगर वापस आएंगे तब भी तो रूम पर ही आएंगे. सब ने हाँ करदी और रूम की तरफ वापसी की।
हंशित और हिमानी उस जंगल में घूम रहे थे हिमानी के चेहरे पर चिंता साफ नज़र आ रही थी । वो घबरा रही थी उसे डर था की अगर वो लोग समय रहते इस जंगल से नही निकले तो आज या तो जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे नही तो जब वो सुबह घर पहुंचेगी इस हालत में तो सब कुछ बदल चुका होगा, लोग उसे ही गलत समझेंगे उसके माँ और पिता को कसूरवार कहेँगे । नही पता क्या होगा यही सब उसके दिमाग़ में चल रहे थै विचार।
हंशित उसे समझाते हुए बोला " हिमानी मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो लेकिन हिमानी तुम्हारे इस तरह परेशान होने से क्या हमें रास्ता मिल जाएगा रास्ता ढूंढ़ने से अच्छा हे की हम लोग कोई ऐसी जगह ढूंढ ले जहाँ हम लोग रात गुज़ार सके नही तो जंगली जानवर हमारी खुशबू सूंघ कर हमारे पास आ जाएंगे और हमें अपना भोजन बना लेंगे "
"तुम्हे क्या लगता हे हम यहाँ पिकनिक मनाने आये हे , मुझे घर जाना हे कैसे भी करके तुम्हारे लिए तो आसान हे तुम्हे दुनियां गलत थोड़ी कहेगी बदनामी का दाग तो मेरे दामन पर लगेगा की एक अनजान शख्स के साथ ना जाने कहा रात गुज़ार कर आयी है ।
मुझे घर जाना हे , मुझे घर जाना हे कैसे भी करके हे भगवान मैं यहाँ क्यू आयी थी , आखिर मैने यहाँ आने की हामी क्यू भरी, क्यू आखिर क्यू मैं यहाँ आयी थी " हिमानी ने रो कर ज़ोर ज़ोर से चीख कर कहा और अपने दोनों हाथ ज़मीन पर मारने लगी ।
हंशित उसे इस तरह देख घबरा गया और उसके पास जाकर बोला " हिमानी तुम डरो नही तुम्हे सही सलामत घर पंहुचा कर ही रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए "
हिमानी उसे अपने नजदीक आता देख उसे ज़ोर से धक्का देती और कहती " दूर हो जाओ, मेरे करीब भी मत आना मुझे घर जाना हे "
हंशित उसकी हालत देख घबरा गया । उसने उसे बहुत समझाया लेकिन वो नही मानी और दोनों ने दोबारा उस अँधेरे में रास्ता खोजने की सोची। जानवरों की आवाज़े आने लगी थी दोनों डरने लगे थे हिमानी जो की पहले से ही डरी हुयी थी जानवरों की आवाज़े सुन और डरने लगी ।
हंशित भी थोड़ा घबरा रहा था हिमानी को इस तरह डरा हुआ देख कर वो भी अपने आप को बुरा भला कहने लगा क्यूंकि उसने ही तो ये सब प्लान बनाया था।
बहुत देर नाकाम कोशिश करने के बाद रास्ता तो नही मिला लेकिन एक गुफा ज़रूर मिल गयी ।
हंशित ने डरते डरते जाकर उस गुफा को अंदर से देखा लेकिन वो सही थी कोई जंगली जानवर नही था उस गुफा में।
लेकिन हिमानी ने हार नही मानी वो ढूंढती ही रही और आखिर कार थक हार कर बाहर ही बैठ गयी और रोने लगी ।
हंशित से उसकी ये हालत देखी नही जा रही थी वो बहुत उदास था । वो भी बाहर आकर बैठ गया लेकिन तब ही अचानक ज़ोर दार बिजली कड़कने लगी और बादल गरजने लगे जिनकी आवाज़ सुन हंशित को ना जाने कुछ होने लगा उसे कुछ याद आने लगा था ।
तभी मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी जिसे देख हंशित को ना जाने क्या हो गया वो अपना सर पकड़ कर उसे दबाने लगा और बोला " नही नही ऐसा नही हो सकता, मैं उसे बचा लूँगा "
हिमानी जो उसे गुफा के अंदर ले जाना चाह रही थी ताकि बारिश में ना भीग जाए, लेकिन हंशित अपने होश में नही था हिमानी नही जानती की उसके साथ क्या हो रहा हे वो तो उसकी मदद कर रही थी।
बारिश तेज हो गयी । हंशित बेहोश हो गया उसे बेहोश देख हिमानी घबरा गयी और बोली " हे! भगवान मेरी रक्षा कर इसे क्या हो गया , कही ये, नही नही ऐसा नही हुआ होगा आखिर इसे हुआ क्या, क्यू ये बारिश बिजली देख घबरा गया "
हिमानी उसे खींच कर गुफा के अंदर ले गयी और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगी वो बहुत डरी हुयी थी । उसने उसके जूते उतार दिए और उसके तलवो को घिसने लगी शायद उसे होश आ जाए, कभी उसकी हथेलिया घिसती तो कभी उसके पाँव बारिश बहुत तेज़ हो रही थी बाहर ।
काफी देर बाद हंशित को होश आया और वो बोला " नही नही वो नही मर सकती , मैं कातिल, मैं कातिल हूँ मुझे सजा दो, मुझे सजा दो "
हिमानी ने जब ये सुना तो उसके पास गयी और उसे अपने सीने से लगा कर अपने होने का एहसास दिया हंशित ने भी उसे दोनों हाथो से पकड़ लिया और बोला " मैं कातिल हूँ, मुझे सजा दो, हाँ मैं ही कातिल हूँ मुझे सजा दो "
थोड़ी देर बाद जब हंशित होश में आया तो खुद को हिमानी की बाहो में पाया तो उसकी तरफ देख कर बोला " हिमानी तुम मेरे साथ मेरे पास हो मत जाओ मुझे छोड़ कर मैं बहुत तन्हा हूँ, मुझे इस तरह छोड़ कर मत जाओ मैं मर जाऊंगा तुम्हारे बिना, मैं नही जानता की मुझे क्या हो गया हे लेकिन एक सुकून जो मैं ढूंढ़ता आ रहा था वो मुझे तुम्हारे पास मिला तुम्हारे होने का एहसास मुझे हिम्मत देता हे , हिमानी मुझे छोड़ कर मत जाओ मैं जी नही पाउँगा।
मैं जानता हूँ तुम भी मुझसे प्यार करती हो पर कहने से डरती हो, हिमानी एक बार, बस एक बार कह दो की तुम भी मुझसे प्यार करती हो माँ की कसम दुनियां से लड़ जाऊंगा तुम्हारे खातिर , हिमानी बस एक बार केहदो मैं बहुत बिखरा हुआ हूँ मुझे अपनी इन सुकून भरी बाहो में समेट लो, मुझे अपना बना लो नही तो ये हंशित उस रात की तरह खुद को ख़त्म कर लेगा।
"हिमानी उसकी बातें सुन रही थी वो उसके मासूम चेहरे और उसकी आँख से निकलते आंसुओं में कही खो सी गयी थी । वो भी अपने दिल की बात ज़ुबा पर लाना चाहती थी किन्तु डरती थी ।"
हंशित ने उसकी तरफ देखा और कहा " हिमानी जो बात दिल में हे कह दो यूं इस तरह तकलीफ मत दो खुद को मैं तुम्हे खोना नही चाहता "
हिमानी उसकी बात टालते हुए कहती हे " तुम्हे क्या हुआ था आखिर तुम क्या कह रहे थे , क्या तुम कातिल हो, तुम इस तरह बारिश और बिजली को देख डर क्यू गए थे, आखिर बात क्या हे क्या तुमने कोई खून किया हे बताओ मुझे, मैं सुनना चाहती हूँ आखिर बात क्या हे "
हंशित ने उसकी तरफ देखा उसकी आँखों में आंसू थे और वो रोंधी आवाज़ में कहता हे " हिमानी ये मेरी ज़िन्दगी का ऐसा कड़वा सच हे जिससे मैं शायद कभी भाग नही सकता ये मेरे सामने हमेशा ही आकर खड़ा हो जाएगा और मैं खुद को कभी माफ नही कर पाउँगा की मेरी वजह से, मेरी एक गलती की वजह से किसी की सारी खुशियाँ मिट्टी में मिल गयी उस बरसात की रात "
." ऐसा भी क्या हुआ था जिसे तुम आज तक नही भुला पाए ऐसा भी क्या हुआ था उस रात जो तुम आज भी बारिश देख कर तुम्हारी हालत ख़राब हो जाती हे , बताओ मुझे शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू उस हादसे से निकलने में, मुझे नही बताओगे " हिमानी ने पूछा
हिमानी का इस तरह उससे पूछना उसे अच्छा लगा और वो बोला " हिमानी क्या तुम उस रात को भूलने में मेरी मदद कर सकती हो, उस रात के बाद ही मेरा भगवान पर से भरोसा उठ गया क्यूंकि जो भगवान किसी बेगुनाह की जान नही बचा सकता तो उसे भगवान कैसे कह सकते हे सुनो हिमानी उस रात के बारे में और हो सके तो मुझे माफ कर देना क्यूंकि में माफ़ी के तो लायक नही हूँ लेकिन फिर भी मुझे अपने दिल से मत निकालना।
हिमानी मैं हंशित जिसका जन्म तो बहुत अच्छे परिवार में हुआ था जहाँ उससे सब बेहद प्यार करते थे , उसकी माँ उसकी दादी उसका भाई उसकी भाभी और उसकी बहन एक और शख्स भी हे उस परिवार में जो मुझे पहले तो प्यार करता था लेकिन जैसे जैसे मैं बड़ा हुआ और अपने सपने को पाने की कोशिश करने लगा , उस शख्स को लगा की मैं नाकारा निकम्मा बन रहा हूँ, मैं जिस सपने के पीछे भाग रहा हूँ वो मुझे सिर्फ और सिर्फ दो वक़्त की रोटी तो दे सकती हे लेकिन मेरे बाप जैसा नाम और शानो शौकत नही दे सकती ।
मेरा सपना फोटोग्राफी मेरे भाई का सपना सिंगर बनना अपनी आवाज़ दूसरों के दिलों तक पहुँचाना मेरा भाई सीधा था , वो डरता था मेरे पिता हंसराज त्रिपाठी से इसलिए उसने उनके कहने पर अपने सपने को त्याग दिया और अपने साथ बिज़नेस में लगाने के लिए उसे परदेस भेज दिया MBA करने के लिए ।
जैसे तैसे वो MBA करके आया पिताजी ने उसे अपनी तरह बनाने के लिए अपने कारोबार में लगा लिया जहाँ अवैध ज़मीनो पर रह रहे लोगो से उनके घर छीन कर वहा बिल्डिंग बना देते हे । उन्हें इतना भी एहसास नही की जिन लोगो के आशयाने वो छीन रहे हे वो कहा जाएंगे उन्हें तो बस अपनी जेब भरने से मतलब हे बाकी लोग कहा जाए क्या करेंगे उन्हें इससे कोई मतलब नही।
वो मुझे भी अपने जैसा बनाना चाहते थे, ज़ालिम जिसे लोगो के दर्द और दुख की कोई परवाह ही ना हो, जिसके लिए पैसा ही भगवान हो कहने को तो वो भगवान को मानता हो लेकिन उसके बनाये लोगो पर ज़ुल्म करता हो चंद कागज के नोटों के इवज़ ।
वो मेरे सपने को भाई के सपने की तरह कुचल देना चाहते थे । लेकिन मैं भाई जैसा नही था मैं अपने हक़ के लिए लड़ने वालो में से था इसलिए मेरी और मेरे पिता की कभी बनी नही उन्होंने कभी मुझे अपना बेटा ही नही समझा बल्कि एक बागी की निगाह से देखा जो उनके आगे पीछे फिरने वाले लोगो जैसा नही था , जो उनकी हर अच्छी और बुरी बात मानता हो।
उस रात भी वही हुआ, वो बरसात की एक काली रात थी हम सब घर में थे तभी मेरे पापा यानी हंसराज जी घर में आये बहुत गुस्से में जिन्हे देख लगा रहा था मानो बाहर का तूफान हमारे घर में आ गया हे वो सीधा मेरी तरफ आये और गाल पर खींच कर तमाचा मारा और कहा " नाकारा इंसान, तुझसे अच्छा तो मैं एक कुत्ते को पाल लेता वो मेरा वफादार तो होता लेकिन तू तो अपने बाप का भी नही हुआ, बागी कही का तू अपने सपने के पीछे उस दो कोड़ी के फोटोग्राफर बनने के चककर में तूने MBA करने के बाद मेरी कंपनी में ये रिजाइन लेटर भेज दिया और कहा की तुझे वहा काम नही करना हे , आखिर क्यू ये इस कैमरे को गले में डाल कर जानवरों की तस्वीरे निकालता रहेगा ताकि जब मेरे दुश्मन देखे तो हसे मुझ पर की वो देखो करोडो का साम्राज्य खड़ा करने वाले का बेटा जानवरों और फ़कीरो की तस्वीरे निकाल रहा हे दुनियां हसेगी मुझे पर जब हर पार्टी में इसकी ही बातें होंगी "
हंशित रोने लगा था ये सब बताते हुए हिमानी ने उसके आंसू साफ किए और बोली " चुप हो जाओ हंशित रो नही वो तुम्हारे पिता हे और कोई भी पिता अपनी औलाद का बुरा नही सोचता हे "
मैं जानता हूँ, लेकिन एक बार मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे साथ खड़े होकर मेरे सपने को सराह देते तो आज जो नफरत मेरे दिल में भरी हे उनके लिए वो नही भरी होती और जो पैसे का घमंड हे उन्हें अगर उसके बलबूते मुझे नही बचाते और मूझे सजा दिलाने से नही बचाते तो आज जो मेरे सर पर मेरे गुनाह का बोझ हे वो आज मेरे सर नही होता हंशित ने कहा रोंधी आवाज़ में
"गुनाह केसा गुनाह किया हुआ था उस रात" हिमानी ने पूछा हिमानी अब अपनी चिंता भूल चुकी थी और उस की बातें ध्यान पूर्वक सुन रही थी।
आखिर क्या गुनाह किया था हंशित ने जिसका बोझ वो अपने सीने पर लिए बैठा हे जानने के लिए पढ़िए अगला भाग
Nancy
10-Aug-2022 10:02 AM
Nice
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Reena yadav
10-Aug-2022 12:41 AM
Very interesting
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Sachin dev
09-Aug-2022 06:19 PM
Very nice
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